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परियों की कहानी | राजा, परी और चुड़ैल की कहानी

by staff

हेलो दोस्तों आज मैं आप लोगो को परियों की कहानी (परी, राजा और चुड़ैल), की कहानी बताने जा रही हूँ, यह कहानी बहुत ही मजेदार और Adventure story है ।

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तो चलिए दोस्तों परियों की कहानी (परी, राजा और चुड़ैल) की शुरुआत करते है ।

परियों की कहानी | परी, राजा और चुड़ैल

बहुत समय पहले की बात है तेजप्रतापपुर में एक राजा रहता था जिसका नाम राजा वीरनारायण था वह राजा बहुत ही पराक्रमी था उसकी पराक्रम की गूंज आसपास के सभी राज्य में थी |

वह बहुत ही वीर, साहसी और निडर राजा था और दयालु भी था, उसके लिए प्रजा ही सब कुछ था वह अपनी प्रजा से बहुत प्यार करता था, राजा वीरनारायण को जानवरों से बहुत प्रेम था ।

राजा वीरनारायण का एक पुत्र था जिसका का नाम राजकुमार विक्रम था, राजकुमार विक्रम भी बहुत ही साहसी था और शिकार करने का बहुत शौकीन था | राजकुमार विक्रम को शिकार करना बहुत अच्छा लगता था लेकिन अपने पिताजी के कारण वह शिकार नही कर पाता था क्योंकि उसके पिताजी पशु प्रेमी थे ।

राज्य के समीप एक जंगल था वह जंगल बहुत ही डरावना और भूतिया था क्योंकि उस जंगल मे बहुत सारे चुड़ैल रहती थी | वह चुड़ैल बहुत ही खतरनाक थी, जो भी कोई उस जंगल के अंदर जाता था शाम होते ही घर वापस आ जाता था क्योंकि रात होते ही चुड़ैल बहुत ज्यादा शक्तिशाली हो जाती थी ।

एक दिन राजा वीर नारायण को कुछ काम से पड़ोसी राज्य जाना पड़ा और राज्य की देखभाल राजकुमार विक्रम को शौप दी, राजकुमार विक्रम इसी मौके का फायदा उठाकर शिकार करने चले गया ।

जब वह शिकार करने निकला था तब रास्ते मे उसे एक हिरण मिला वह हिरण का पीछा करते करते जंगल के अंदर घुस गया, देखते ही देखते राजकुमार विक्रम जंगल के बहुत अंदर चला गया और हिरण उसकी आँखों से ओझल हो गया गया ।

जब राजकुमार विक्रम निराश होकर वापस लौट रहे थे तो वह रास्ता भटक चुका था | उसे कुछ समझ मे ही नही आ रहा था कि वो कैसे जंगल से बाहर निकले, फिर देखते ही देखते शाम हो गयी |

राजकुमार विक्रम जंगल के अंदर ही भटकता रहा फिर धीरे-धीरे करके रात हो गयी, राजकुमार विक्रम जंगल के अंदर फस चुका था ।

इधर राजा वीरनारायण भी वापस लौट चुका था अब वो बहुत परेशान हो गया था इधर-उधर ढूंढने के बाद भी उन्हें राजकुमार कंही नही मिला ।

इधर राजकुमार विक्रम ने सोचा चलो रात हो गया है अभी आराम कर लेता हूं फिर सुबह होते ही रास्ता ढूंढते-ढूंढते वापस अपने राज्य चला जाऊंगा |

राजकुमार विक्रम आराम कर रहे थे तभी अचानक बहुत सारी चुड़ैल आ गई और कहने लगी बहुत दिनों बाद अच्छा भोजन मिला है आज तो खाने में मजा आ जायेगा ।

राजकुमार विक्रम चुड़ैलो को अचानक से देखकर घबरा गया लेकिन फिर भी उसने हिम्मत से काम लिया और चुड़ैलों को बोला ऐ चुड़ैल यहां से भग जा नही तो मैं तुम लोगो को मार डालूँगा ।

चुड़ैले बहुत गुस्सा हो गई और राजकुमार विक्रम के ऊपर हमला करने लगे लेकिन राजकुमार विक्रम ने भी अपना साहस का परिचय दिखाया और चुड़ैलों से डटकर मुकाबला किया लेकिन चुड़ैलों की संख्या अधिक और जादुई होने के कारण राजकुमार विक्रम कुछ नही कर पा रहे थे ।

फिर कुछ समय मुकाबला करने के बाद चुड़ैल ने राजकुमार विक्रम को हरा दिया और उसे जख्मी करके नीचे गिरा दिया | अब वह बुरी तरह घायल हो चुका था और उसके अंदर लड़ने के लिए ताकत भी नही बचा था ।

चुड़ैल जैसे ही राजकुमार को मारने वाले थे तभी अचानक एक सुंदर सी परी आयी | { वह परी बहुत ही खूबसूरत थी और उसके खूबसूरत पंख भी बहुत चमक रहे थे }।

चुड़ैल, परी को देखकर बहुत ग़ुस्से में आ गई और सभी चुड़ैलों ने मिलकर परी पर हमला किया लेकिन परी ने अपनी जादुई सितारा छड़ी से चुड़ैलों एक ही बार में काम तमाम कर दिया और राजकुमार विक्रम को बचा लिया और ठीक कर दिया ।

राजकुमार विक्रम ने परी से कहा आपका बहुत-बहुत धन्यवाद परी, फिर परी मुस्कुराई और वहां से अपने खूबसूरत पंखों के सहारे उड़ गई, फिर सुबह होते ही राजकुमार विक्रम अपने राज्य वापस लौट आये ।

राज्य लौटने के बाद उसने अपने पिताजी से माफी मांगा और बोला अब मै कभी आपके इजाजत के बगैर कंही नही जाऊंगा और अपने कर्तव्य को पूरी निष्ठा से निभाउंगा और प्रजा की सेवा करूँगा ।

तो दोस्तों ये तो थी आज की कहानी आपको ये कहानी कैसी लगी हमें कमेंट करके जरुर बताये |

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