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परियों की कहानी | गुड़िया परी का वरदान

by staff

Hello दोस्तों आज मैं आपको परियों की कहानी (गुड़िया परी का वरदान), की कहानी बताने जा रही हु, यह एक Emotional story है |अब ये कैसी Emotional story है, ये तो आपको कहानी पढ़ने के बाद ही पता चलेगा |

दोस्तों यह एक महिला की कहानी है जो अपनी जिंदगी में बहुत तकलीफ़ो का सामना करती है, तो चलिए दोस्तों परियों की कहानी (गुड़िया परी का वरदान) की कहानी को शुरू करते है |


परियों की कहानी | गुड़िया परी का वरदान

एक समय की बात है सूरजपुर नाम का एक गाँव था, उस गाँव में एक जमीनदार और उसका एक बेटे रहते थे | बेटे का नाम दीपक था जिसे जमीनदार बहुत प्यार करता था, दीपक बहुत ही होशियार और समझदार था और साथ ही बहुत ही खुबसूरत, सुन्दर और सबकी मदद करने वाला इंसान था |

दीपक की शादी रतनपुर नाम के गाँव के व्यापारी की बेटी से हुई | व्यापारी की बेटी का नाम कोमल थी वह बहुत ही खुबसूरत थी और साथ ही खुले विचार वाली भी थी लेकिन वह बहुत गुस्सैल और क्रूर स्वाभाव वाली भी थी |

दीपक और कोमल की शादी बहुत ही धूमधाम से हुई, ढोल नंगाड़े बजे, सभी ने बहुत मजे भी किये, दोनों गाँव वाले भी बहुत खुश थे | जैसे दिवाली का त्यौहार मनाया जा रहा था|

पर कोमल अपनी शादी से बिलकुल भी खुश नही थी | सभी लोग उनकी शादी में आकर बहुत खुश थे, पर कोमल के मन का हाल कोई नही जानता था, कोमल मन ही मन बहुत दुखी थी, उसे समझ में नही आ रहा था की क्या करे |

कोमल अभी शादी नही करना चाहती थी बल्कि अपने गाँव में रहकर अपने गाँव के विकास में योगदान देना चाहती थी | वह अपने गाँव के लिये कुछ करना चाहती थी, लेकिन उसके पिताजी ने उसकी शादी दीपक के साथ तय कर दी थी |

शादी के समय कोमल को दीपक के ऊपर बहुत गुस्सा आ रहा था पर वह अपने गुस्से को शांत कर लेती क्योकि अगर वह गुस्सा करती तो उसके पिताजी की इज्जत पर चोट पहुचती और सभी लोग कहते की ये कैसी पुत्री है जो अपने पिताजी की आज्ञा नही मानती | यह सोचकर वह अपने गुस्से को जैसे तैसे शांत कर लेती |

देखते ही देखते शादी की सारी रस्मे पूरी हो गई और कुछ समय बाद कोमल वहा से बिदा लेकर सूरजपुर के लिए रवाना हुए | दीपक बहुत खुश था और मन ही मन कोमल को देखकर मुस्कुरा रहा था लेकिन कोमल मन ही मन ये सोच रही थी की अब मैं क्या करू?

दोनों अपने घर पहुचते है जहा कोमल का खूब जोर शोर से स्वागत होता है | सब कुछ होने के बाद जब दीपक, कोमल से बात करने के लिए आया तो कोमल उस पर बहुत नाराज हो जाती है और ठीक से बात भी नहीं करती, दीपक को कुछ समझ में ही नही आ रहा होता है की आखिर कोमल उससे क्यों नाराज है |

दीपक कहता है क्या हुआ कोमल तुम मुझसे क्यों नाराज हो? मैंने आखिर क्या किया है? मुझे बताओ | फिर कोमल कहती है आपने मेरी इच्छा जाने बगैर मुझसे शादी कर ली इसके लिए आप ही जिम्मेदार हो |

दीपक समझाने की कोशिश करता है लेकिन कोमल उसे अपनी इच्छाओ का दोषी मानकर नाराज रहती है, लेकिन फिर समय बीतता जाता है वैसे ही कोमल को दीपक से प्यार हो जाता है अब कोमल, दीपक के ऊपर गुस्सा नही करती बल्कि उससे प्यार से बात करती है |

देखते ही देखते 8 साल बीत जाते है लेकिन दोनों को संतान नही होता है, 8 साल बीत जाने के बाद कोई संतान नही होता है तो सारे गाँव वाले कोमल पर ही ऊँगली उठाते है और कहते है कोमल में कुछ दोष है | बेचारी कोमल क्या करती वह सुनकर चुप हो जाती |

एक दिन जब दीपक शहर जा रहा होता है तब दीपक कहता है कोमल मैं तुम्हारे लिए शहर से क्या लाऊ, फिर कोमल कहती है मेरे लिए एक गुड़िया ले आना | दीपक शहर से लौटते वक्त एक गुड़िया खरीदकर लाता है |

जब कोमल वह गुड़िया देखती है तो वह बहुत खुद हो जाती है वह गुड़िया दिखने में बहुत प्यारी होती है इस कारण से कोमल उसका नाम प्यारी रखती है, असल में दीपक ने जिस गुड़िया को खरीदकर लाया था वह एक परी थी जिसे किसी कारण वश एक साधू ने गुड़िया बनने का श्राप दे दिया था |

कोमल उस गुड़िया के साथ बहुत खेलती है | लेकिन संतान न होने की वजह आँगन में बैठकर रोज रोती फिर गुड़िया के साथ अपना मन बहला लेती, ऐसा काफी दिन चलता रहा |

ऐसे ही कोमल अब आँगन में बैठकर रोज फुट-फुट कर रोटी थी फिर वह उस गुड़िया को अपना बच्चा मानकर उसको गले लगाती उसके साथ खेलती थी | बेचारी कोमल क्या करती उसकी संतान ही नही थी उसके साथ कोई भी नही था जिसके साथ वह खेल सके |

फिर एक दिन जब कोमल गुड़िया को देखकर रो रही थी तभी अचानक वह गुड़िया एक सुन्दर सी परी में बदल जाती है, कोमल यह देखकर बहुत डर जाती है और कहती है तुम कौन हो ?

फिर परी बोलती है मैं प्यारी हूँ कोमल, तुमने मुझे पहचाना नही, तभी कोमल कहती है प्यारी तो एक गुड़िया थी जिसके साथ मैं अक्सर खेलती थी |

परी बोलती है मुझे एक श्राप मिला था जिस वजह से मैं एक गुड़िया बन गई और इस श्राप से मुक्त होने का उपाय ये था की अगर कोई मुझसे बच्चों की तरह खेलती, मुझसे गले लगाती तो मैं उस श्राप से मुक्त हो जाउंगी |

तुमने मुझे श्राप से मुक्त कर दिया अब तुम जो चाहो वो मुझसे मांग सकती हो, कोमल रोते हुए बोलती है मेरी शादी को 8 साल हो गए लेकिन मेरी कोई संतान नही है | मुझे संतान चाहिए |

फिर परी उसे वह वरदान दे देती है और जल्दी ही कोमल एक प्यारे बच्चे की माँ बन जाती है फिर कोमल बहुत खुश हो जाती है |

तो दोस्तों यदि परियों की कहानी (गुड़िया परी का वरदान), की कहानी आपको अच्छी लगी हो तो शेयर जरुर कीजिये |

Filed Under: Pariyon Ki Kahani

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