Hello Friends मैं प्रिया शर्मा एक बार फिर से आप सभी का स्वागत करती हूँ आपके अपने Story in Hindi वेबसाइट में आज मैं आपके लिए नयी और धमाकेदार A Unique Love Story In Hindi लेकर आयी हूँ ये कहानी सभी Love Story से हटके है ये कहानी आपके दिल को छू लेगी और आप अपने बचपन के प्यार की यादों में खो जायेंगे |
इस कहानी को पढ़ने के बाद आपको अपने सच्चे प्यार की याद आ जायेगी की आखिर आपने अपने सच्चे प्यार को पाने के लिये क्या-क्या किया और किस परिस्थिति से गुजरने के बाद आपको आपका सच्चा प्यार मिला या बस उसकी यादें ही आपके साथ है |
ये कहानी हमें अंबिकापुर छत्तीसगढ़ के रहने वाले आनंद ने भेजी है हमारी पूरी Story in Hindi की उनका धन्यवाद करती है | अगर आपके पास भी ऐसी ही कोई story है तो वो आप हमसे शेयर कर सकते है |
चलिये दोस्तों A Unique Love Story In Hindi | प्यार की एक अनोखी कहानी की शुरुवात करते है |
A Unique Love Story In Hindi
प्यार की एक अनोखी कहानी….
शाम का समय था…मैं रेलवे स्टेशन पर एक बैंच पर एकांत में बैठा ट्रैन का इंतजार कर रहा था । ट्रैन 3 घंटे बाद आने वाली थी । तभी अचानक एक सुंदर सी महिला मेरे पास आकर बैठी । मैं महिलाओं से वैसे ही घबराता हूँ । लेकिन जब महिला अनजान हो तो मेरी जान ही निकलने लगती है। कुँवारा ब्रह्मचारी आदमी जो ठहरा |
इतने करीब जनानी को कैसे सहन कर पाता। मैं खड़ा होकर चलने लगा
तो उसने कहा बैठ जाओ।
मैंने उसकी ओर देखा और आँखों से प्रश्न किया:-“………..? ”
और जवाब में वह बोली:- “, पहचाना नही क्या?”
मैंने “ना” में गर्दन हिलाई।
उसने उदास होकर कहा:- “मैं चारू”।
मैं पहचान गया और मेरे मुख से “ओह” बस इतना ही शब्द निकला। यादों पर जमा कुछ कोहरा हटा और गौर से उसका चेहरा देखा तो उसकी 15 साल पुरानी वास्तविक आकृति जहन में उभर आई । मेरे मोहल्ले की लड़की थी और साथ में भी पढ़ी थी। सालभर पागल भी रही थी।,.
तभी उसने धीमी आवाज में कहा :- “बहुत दर्द हुआ आज, जिसके लिए खुद को बर्बाद कर लिया। वो शख्स तो मुझे पहचानता भी नही”।
मैं कुछ समझ नहीं पाया। मैंने फिर से आँखों में प्रश्न लेकर उसकी और देखा:-???”
उसने जवाब दिया:- “मैंने तुम्हे इतना चाहा? क्या तुम्हें कुछ भी पता नही?”
मैंने फिर “ना” में गर्दन हिलाई।
उसने कुछ पुराने यादों के पन्नो को पलटा और मुझसे कहा:-
याद कर 12 वीं कक्षा में तेरी कॉपी में “I LOVE YOU” लिख कर किसी ने पर्ची दबाई थी?
मैंने कहा:- “हाँ, मग़र वह तो किसी लड़के की करतूत थी”।.
उसने कहा:- “पागल, वो कोई लड़के की मजाक नहीं मैं ही थी”।
.मैंने कहा:- “ओह, मगर लिखावट तो तेरी नहीं थी । जब मैंने हल्ला मचाया था । तो सारे टीचर इकट्ठे हो गए थे। लिखावट मिलाई गई। मगर किसी की नही मिली।”.
उसने कहा:- “कैसे मिलती? मैंने उलटे हाथ से जो लिखी थी।”
इस बार वह जरा मुस्कराई।.
“ओह!!” मैंने आश्चर्यचकित होकर उसे देखा। जैसे ब्रेल लिपि पढ़ने की कोशिश कर रहा हूँ।.
उसने फिर कहा:- “हाँ, तू सचमुच भोला था। तेरे इसी भोलेपन पर तो मेरा दिल आ गया था। 12 वीं के बाद मेरी पढ़ाई छूट गई थी। और तू कॉलेज जाने लगा था। तब मैंने साल भर पागलपन का नाटक किया था”।.
मैंने कहा:- “झूठी, तू सचमुच पागल थी”।
उसने कहा:- “हाँ पागल थी। तेरे प्यार में। दिन-दुनिया की खबर ही नही थी। अपना होश भी नही सम्भाल पा रही थी। पागपन के बहाने से तेरे घर आकर छुप जाया करती थी। इसी बहाने तुझे छू लिया करती थी।”
मैंने कहा:- “चल झूठी, तुमने पागलपन में कइयों को कांट लिया था। याद नही क्या?.
उसने कहा:- “हाँ याद है सबकुछ तो याद है। चाहत के लम्हे ऐसे ही भूले जाते हैं क्या? याद कर मैंने सबको काटा मग़र तुझे क्यों नही काटा? तुम मुझे पकड़ कर घर वालों के हवाले कर दिया करते थे। और मैं बड़ी आसानी से तुम्हारी पकड़ में आ जाया करती थी। इसी बहाने तुझे छूने का मौका मिल जाया करता था। यही तो हसरत रहती थी मेरी। तुझे छूने के लिए अपना वजूद तक दांव पर लगा दिया था मैंने।”.
मैं निरूत्तर सा हो गया।
फिर मैंने कहा:- ” नहीं तू सचमुच पागल ही थी। याद कर जब मैं बड़े तालाब में नहा रहा था। तुम मेरे कपड़े उठा कर ले गई थी। मैं पूरे दिन खेतों में सिर्फ चड्डी पहनकर घूमता रहा मग़र तुमने शाम तक मेरे कपड़े नहीं दिए। ऐसा तो कोई पागल ही कर सकती थी।”
उसने जवाब दिया:- “हाँ कपड़े उठाए थे मैंने। मग़र जरा सोच तेरे ही क्यूँ उठाए थे? और भी तो तेरे कई दोस्त नहा रहे थे? बड़ा मजा आया था मुझे इस खेल में। शाम को तेरे कपड़े मैंने वापस भी तो कर दिए थे। तुम मेरे अपने जो थे । ढंग से तुझे देखने का हक था मेरा सो मैंने देख लिया।”
फिर उसने एक गहरी सांस लेकर कहा:-” बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी मुझे इस खेल की। तेरी माँ शिकायत लेकर आ गई थी। इस कारण घर वालों ने मुझे खूब पीटा। फिर रातभर बेड़ियों से बाँधे रखा था। मगर सारी सजा उस आनन्द के सामने कुछ भी नही थी रे जो तुम्हारे पास मिलती थी “!.
अब मेरे पास कोई जवाब नहीं था। मुझे उससे आँख मिलाने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी।.
उसने कहना जारी रखा:- “तुझसे महोब्बत की सजा तो मैं अब भी भोग रही हूँ। पागल समझ कर घर वालों ने बुड्ढे के पल्ले बाँध दिया। मुझसे 15 साल बड़ा है वो। मग़र जो भी है, पति है मेरा। निभा रही हूँ। दो बच्चे भी हैं मेरे। मग़र तू आज भी मेरे दिल में है |
तू मेरे जेहन से निकलता ही नहीं। मुझे छूता कोई और है मग़र स्पर्श तेरा ही महसूस किया है मैंने। ये जिंदगी तेरे नाम की है। ता-उम्र तेरी ही रहेगी प्यार एक बार होता है मुझे भी हुआ बिना किसी उम्मीद के मैंने तुझे चाहा और चाहती रहुँगीं |
इतना कहते ही उसकी ट्रेन आ गयी
और उसने कहा:- “अब मेरी ट्रैन आ गई है। दूर की मुसाफिर हूँ अब जाना पड़ेगा। मग़र आज जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी पा ली है मैंने। तुझे अपने दिल का हाल बताकर अब मर भी जाऊँ तो कोई गम नही।”
इतना कह कर वो चली गई। मैं जड़वत पत्थर बना बैठा रहा। वो स्टेशन की भीड़ में कहीं ओझल हो गई |