दोस्तों आज मैं आपको तेनाली राम की कहाँनी बताऊंगा की कैसे तेनाली राम की चतुराई (Cleverness of Tenali Rama) से राजा पाप करने से बच गया और कैसे तेनाली ने राजा को शत्रु के हांथो मरने से बचाया |
ये कहानी आपको बहुत पसंद आयेगी दोस्तों मैंने ये कहानी कॉमिक्स में पढ़ा था और मुझे ये कहाँनी बहुत अच्छा लगा इसलिये मैंने इसे आपके साथ शेयर करना चाहा | तो चलिये दोस्तों इस कहाँनी को शुरू करते है |
एक सेवक की मदद
तेनालीराम की चतुराई “एक सेवक की मदद” तेनालीराम राजा कृष्णदेव राय के दरबार में मंत्री थे वे बड़े बुद्धिमान और चतुर थे एक बार दरबार की एक सेवक की हाथ से कांच का खूबसूरत मोर टूट गया वह मोर राजा को बहुत प्रिय था राजा ने क्रोध में आकर के उस सेवक को आजीवन कारावास के लिए जेल में डाल दिया |
वह सेवक ईमानदार और मेहनती था लेकिन तेनालीराम भी उसे बचा नहीं सके उन्होंने कोशिश जारी रखी कुछ दिनों बाद राजा कृष्णदेव राय मंत्री तेनालीराम और अन्य मंत्री गणों के साथ शिकार करने निकले वापस आते समय तेनाली राम बोले “महाराज” पास ही एक बाल उद्यान है उसे भी देखते चलें |
राजा मान गए और उद्यान में प्रवेश किया उद्यान के एक कोने में बच्चे नाटक खेल रहे थे एक बच्चा राजा बना हुआ था उसके सामने दो सिपाही एक अपराधी को पकड़ कर खड़े थे सेवक ने पास ही के एक खेत से गाजर और मूली की चोरी की थी सेवक ने अपनी गलती मान ली |
तभी राजा बना बच्चा बोला ठीक है तुम्हें माफी दी जाती है मगर ध्यान रहे ऐसी गलती दोबारा ना हो और खेत के मालिक को शाही खजाने से नुकसान की भरपाई दी जाए पहली गलती पर हम भला कैसे सजा दे ?
यह सुनकर एक मंत्री बोला “महाराज” यह बच्चा तो बड़ा शरारती है इसे सजा मिलनी चाहिए तेनालीराम ने भी मंत्री का साथ दिया और बोले हाँ महाराज सजा यही हो कि उसे राजदरबार में बुलाकर ये नाटक फिर से दोहराने को कहा जाए |
राजा ने नाटक दोहराने का आदेश दिया दुबारा नाटक देखकर राजा कृष्णदेव राय सोचने लगे मन ही मन मुस्कुरा उठे तेनालीराम आज मैं जान गया न्याय करते समय राजा का मन बच्चे जैसा निर्मल होना चाहिए तुमने मेरी आंखें खोल दी |
राजा ने तुरंत उस कैदी सेवक को रिहा करवाया तेनालीराम मन ही मन मुस्कुराए आखिर वो सेवक को बचाने में कामयाब हुए |
आपने देखा की कैसे तेनाली राम की चतुराई (Cleverness of Tenali Rama) से सेवक की जान बच गयी |
तेनाली राम ने बचाई राजा की जान
एक बार राज दरबार में नीलकेतु नाम का यात्री राजा कृष्णदेव राय से मिलने आया पहरेदारों ने राजा को उसके आने की सूचना दी राजा ने नीलकेतु को मिलने की अनुमति दे दी यात्री एकदम दुबला पतला था वह राजा के सामने आया और बोला “महाराज” में नील देश का नीलकेतु हूँ |
और इस समय में विश्व भ्रमण की यात्रा पर निकला हूं सभी जगहों का भ्रमण करने के पश्चात आप के दरबार में पहुंचा हूं राजा ने उसका स्वागत करते हुए उसे शाही अतिथि घोषित किया | राजा से मिली सम्मान से खुश होकर वह बोला “महाराज” मैं उस जगह को जानता हूं जहां पर खूब सुंदर सुंदर परियां रहती हैं मैं अपनी जादुई शक्ति से उन्हें यहां बुला सकता हूं नीलकेतु की बात सुन राजा खुश होकर बोला इसके लिए मुझे क्या करना चाहिए |
उसने राजा कृष्णदेव को रात्रि में तालाब के पास आने के लिए कहा और बोला उस जगह मैं परियों को नृत्य के लिए भी बुला सकता हूं नीलकेतु की बात मानकर राजा रात्रि में घोड़े पर बैठकर तालाब की ओर निकल गए तालाब के किनारे पहुंचने पर पुराने किले के पास नीलकेतु ने राजा कृष्णदेव का स्वागत किया और बोला “महाराज” मैंने सारी व्यवस्था कर दी है सभी परियां किले के अंदर है राजा अपनी घोड़े से उतर नीलकेतु के साथ अंदर जाने लगे |
उसी समय राजा को शोर सुनाई दिया दिखा तो राजा की सेना ने नीलकेतु को पकड़कर बांध दिया था यह सब देख राजा ने पूछा “यह क्या हो रहा है” तभी किले के अंदर से तेनालीराम बाहर निकलते हुए बोले महाराज मैं आपको बताता हूं |
तेनालीराम ने राजा को बताया यह नीलकेतु शत्रु देश का रक्षा मंत्री है और महाराज किले के अंदर कुछ भी नहीं है यह नीलकेतु तो आपको जान से मारने की तैयारी कर रहा था राजा ने तेनालीराम को अपनी रक्षा के लिए धन्यवाद दिया |
और राजा ने कहा तेनालीराम यह बताओ, तुम्हें यह सब पता कैसे चला ?
तेनालीराम ने राजा को सच्चाई बताते हुए कहा “महाराज” आपके दरबार में जब नीलकेतु आया था तभी मैं समझ गया था फिर मैंने अपनी साथियों से इसका पीछा करने को कहा था जहां पर नीलकेतु आपको मारने की योजना बना रहा था तेनालीराम की समझदारी पर राजा कृष्णदेव राय ने खुश होकर उन्हें धन्यवाद दिया |
तो देखा दोस्तों अपने की कैसे तेनाली राम की चतुराई (Cleverness of Tenali Rama) की वजह से राजा की जान बच गयी |