Hello दोस्तों आप सभी का स्वागत हैं, आज मैं लोगो को इस पोस्ट में Hindi Poem on Environment बताने जा रहा हूँ जिसे पढ़ने के बाद आपको एक अलग ही आनंद की प्राप्ति होगी, आपका मन खुशी से भर उठेगा, कुछ समय के लिए आप लोगो को मन की शांन्ति प्राप्ति होगी |
दोस्तों इन्टरनेट के इस दौर में कवि और लेखक अपनी रचनाओं को सोशल मीडिया के माध्यम से जैसे Facebook, Twitter, Instagram, Pinterest, Whatapp और अन्य सोशल माध्यमों पर साझा कर देते हैं और ऐसे में एक ही बार यह रचनाएं वायरल हो जाती हैं और ख़ूब सराही जाती हैं, दोस्तों आज की ये Hindi Poem पूजा नेताम द्वारा लिखी गई हैं, तो चलिए दोस्तों Hindi Poem on Environment शुरू करते हैं |
“प्रकृति”
मन करता हैं देख तुझे प्रकृति
तेरे जैसी बन जाऊं
स्वच्छंद रहूँ वायु के जैसे
तितली बन उड़ जाऊं
पेड़ बन छाया हूँ राहो को
राह बन मंजिल तक पहुंचाऊं
चिड़िया की चह-चहाहट पेड़ो पर
खेतो में हरियाली बन बिछ जाऊं
धरती बन सबको गोद में लूँ और
पानी बन प्यास बुझाऊँ
बारिश बन सबको खुशियाँ दूँ
सूर्य की तरह रोशन कर जाऊं
चाँद जैसी शीतलता दूँ
तारे बन टिम-टिमाऊँ
बन्दर जैसी उछल कूद से
सबका मन बहलाऊं
आकाश बन छा जाऊं जग पर
अग्नि बन रोटी पकाऊं
झरना बन झर-झर बहूँ और
नदियाँ बन खिलखिलाऊँ
पहाड़ जैसी अटल रहूँ मैं
फुल बन जग महकाऊं
बस एक दुआ हैं रब से मेरी
पत्थर न बन जाऊं
मनुष्य जैसा कठोर हृदय न दे
कलयुगी मानव न बन जाऊं
“गुरुवर”
स्नेह की संहिता रहे हैं गुरु,
भगवत की कथा रहे हैं गुरु |
एक हमें शिक्षा देने को,
मुददतों प्रयत्नशील रहे हैं गुरु |
प्यारी मुस्कान की लिखावट में,
अश्रुओं का पता रहे हैं गुरु ||
गुरु ज्ञान का सिन्धु हैं
करुणा का अवतार
गुरु के छाया तले
यह सारा संसार
सब देवों के देव गुरु
ऐसा सुन्दर वेश
गुरु के चरणों में रहे
ब्रह्मा, विष्णु, महेश
गुरु जग की आवाज हैं
गुरु जीवन का ज्ञान
गुरु ही वाणी यीशु की
गुरु ही वेद – पुराण
झरनों के संगीत गुरु
ज्ञान का विस्तार
गुरु ही देवी सरस्वती
शिक्षा का भंडार ||
“कविता के आँगन से”
ऐ जिन्दगी क्यूँ रूठा हैं तू मुझसे
पास आ गले से लग जा तू मुझसे
जब कभी किसी की आँखों में आंसू आया हैं
तूने उन्हें हँसना सिखाया हैं
नफरत और घृणा को छोड़
प्रेम को गले लगाना हैं
जब कभी बीच रास्ते
किसी का पांव लड़खड़ाया हैं
तूने ही ऊँगली पकड़कर
उन्हें चलना सिखाया हैं
सच्चाई, प्रेम, ईमान निष्ठा होते हैं
जिन्दगी के अहम हिस्से
इनके बिना अधूरे हैं
जिन्दगी के सारे किस्से
हँसना, रोना, सुख-दुःख खेल हैं जिन्दगी का
इनसे ही तो खुबसूरत जिन्दगी की पहचान होती हैं
रोते हैं जो जिन्दगी में हमेशा
खोते हैं वो प्रेम को हमेशा
और जो हँसते हैं हरदम
खुशियाँ पास रहती हैं उनके हरपल
इसलिए कहती हूँ रोना छोड़ हँसना सीखो
कायरता छोड़ लड़ना सीखो
निश्चय हैं एक दिन जीत तुम्हे अवश्य मिलेगी
देरी हैं तो बस पंख फैलाने की
क्योंकि उड़ने के लिए तो सारा आसमान खाली हैं |