हेल्लो नन्हें दोस्तों आज मैं आपके लिए एक छोटी सी “जादुई काँच के टुकड़े की कहानी | Jadui Kahani for Kids in Hindi” की कहानी लेकर आया हूँ ये कहानी दोस्ती पर आधारित है जो आपको बहुत पसंद आयेगी | तो चलिए कहानी को शुरू करते है |
माधवपुर नामक गाँव में एक सनी नाम का लड़का रहा था जो पढ़ाई लिखाई में बहुत होशियार था स्कूल में सभी उसकी बहुत तारीफ किया करते थे एक दिन उनकी शिक्षिका ने उन्हें फ्रेंडशिप पर आधारित कहानी लिख कर लाने के लिए कहा |
सनी जल्दी से घर आया और अपना होमवर्क करना स्टार्ट कर दिया तभी उनकी दीदी उनके पास आयी और बोली
सनी तुम क्या लिख रहे हो।
सनी -: मैं अपना होमवर्क कर रहा हूं दीदी मेरी मैम ने फ्रेंडशिप पर एक कहानी लिखने के लिए कहा है।
दीदी -: ओ अच्छा। मुझे दोस्ती की एक अच्छी कहानी पता है।
सनी -: कौन सी कहानी दीदी बताओ न
दीदी -: बर्फील रानी… एक बार एक दुष्ट जादूगर था जिसे अजीब अजीब चीजें बनाना बहुत पसंद था। एक बार उसने एक जादुई आईना बनाया यह आईना सबसे अलग था क्योंकि इसमें देखने पर सभी चीजें बहुत बदसूरत और भद्दी हो जाती थीं।
दीदी -: सुन्दर मैदान दलदल में बदल जाते थे और सुंदर लोग बदसूरत और बूढ़े बेजान दिखते थे। जादूगर अपने आईने से बहुत खुश था। वह अपने आईने को लेकर पूरी दुनिया में घूमता आम लोगों को बहुत परेशान करता।
दीदी -: एक दिन जब वह ऊँचा उठ रहा था और बहुत जोर-जोर से हंस रहा था अपने आईने के कारनामों की वजह से उसके हंसते हुए उसका आईना धरती पर जा गिरा और उसके लाखों टुकड़े छोटे छोटे हो गए।
दीदी -: आईने के टुकड़े जब हर तरफ उड़ने लगे तो कुछ टुकड़े लोगों के दिलों में चूभ गए और उन लोगों को कठोर दिल बना दिया। कई टुकड़े लोगों की आंखों में जा गिरे और फिर उन लोगों को सब खराब व गंदा दिखने लगा।
दीदी -: सबसे बड़ा काँच का टुकड़ा बर्फीली रानी पर जा गिरा जो उत्तर दिशा में राज करती थी उसी समय से बर्फीली रानी बहुत कठोर दिल और मतलबी हो गई। और बर्फीली रानी से काफी दूर एक लड़का मिंटू और उसकी दोस्त चिंटू रहते थे।
दीदी -: मिंटू और चिंटू दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। वो रोज़ एक साथ खेलते थे। सर्दियों में एक दिन मिंटू और चिंटू बर्फ में स्नोमैन बना रहे थे। तभी मिंटू जोर-जोर से रोने लगा।
मिंटू -: मेरी आंख में कुछ चला गया और मेरे दिल में भी दर्द हो रहा है।
दीदी -: आईने का एक टुकड़ा मिंटू को चुभ गया था।
चिंटू -: क्या मैं तुम्हारे लिए कुछ करूं जिससे तुम्हारा दर्द कम हो जाए।
मिंटू -: चले जाओ यहाँ से।
दीदी -: मिंटू ने स्नोमैन को भी गिरा दिया। यह देख कर जब चिंटू रोने लगा तो मिंटू जोर जोर से हंस पड़ा और पास पड़ी स्लेज पर बैठ कर वहां से चल पड़ा। वो अकेला बर्फ पर खेलता रहा और काफी आगे निकल गया।
दीदी -: उसके स्लेज के पास एक बड़ा स्लेज आकर रुका। उसने ध्यान नहीं दिया कि दूसरी स्लेज में कौन था। उसने एक रस्सी बड़ी स्लेज पर डाली और उसके सहारे से ज्यादा दूर निकल गया। बड़ा स्लेज मिंटू को घसीटता हुआ एक बर्फीले किले में ले गया।
दीदी -: वहां पहुंच कर बड़ी स्लेज के चालक ने मिंटू को किले के अंदर चलने को कहा।
बर्फीली रानी -: मिन्टू ईधर आओ तुम्हें बहुत ठंड लग रही होगी।
दीदी -: यह बर्फीली रानी थी। मिंटू उससे डरा नहीं और फिर बर्फीली रानी ने नीचे झुककर उसके गाल को चूम लिया। इस किस से मिंटू मंत्र मुग्ध हो गया और वह चिंटू और बाकी सबको भूल गया और बर्फीली रानी को ही अपना समझने लगा।
दीदी -: उसे लगा बर्फीली रानी दुनिया की सबसे अच्छी औरत है पर उसका दिल अब कठोर हो चुका था। वहां घर पर चिंटू, मिन्टू को तलाश कर रहा था। वह सबसे मिन्टू के बारे में पूछता था पर मिंटू किसी को नहीं मिला।
एक आदमी -: शायद वो नदी में गिरकर डूब गया होगा।
दीदी -: चिंटू ने अपने सबसे खूबसूरत लाल जूते नदी में फेंक दिये और नदी से मिंटू को वापस देने को कहा पर नदी ने भी तो मिंटू को नहीं देखा था इसीलिए उसने लाल जूते वापस बाहर भेज दिए।
चिंटू -: मैं मिंटू को अब कहाँ ढूँढू मैं उस तक कैसे पहुंचूं न जाने वो कहाँ होगा।
दीदी -: तभी एक छोटी सी नाव चिंटू के पास आकर रुकी चिंटू उसमें चढ़ गया और नदी के बहाव से आगे बढ़ते गया। वह बहुत दूर तक नाव में बैठे बैठे आगे बढ़ते गया। एक अनजान स्थान था जंगल में जहां जाकर नाव रुक गई।
चिंटू -: ये मैं कहाँ आ गया।
दीदी -: उसने एक बारह सिंघा से पूछा
बारह सिंघा -: टीपू जंगली।
चिंटू -: क्या तुमने एक छोटे से बच्चे को देखा है।
बारह सिंघा -: हां एक लड़का उत्तर दिशा की रानी के साथ उसके महल में रहता है मेरी पीठ पर बैठ जाओ मैं तुम्हें वहां ले जाता हूं।
दीदी -: बारह सिंघा चिंटू को अपनी पीठ पर बैठा कर उत्तर दिशा की ओर भागता रहा। जब तक वह बर्फीली रानी के महल तक नहीं पहुँच गए चिंटू वहां की ठंड से घबरा गया। पर उसने हिम्मत नहीं हारा। किले के अंदर मिंटू ठंड में अकेला था।
दीदी -: बर्फीली रानी थोड़ी दूर थी और मिंटू बर्फ से खेल रहा था। बर्फीली रानी ने मिंटू से कहा था कि जब वह ऊन बर्फ के टुकड़ों से फ्री लिख देगा तो वहां अपने घर जा पायेगा। मिंटू कोशिश करता रहा पर बर्फ के टुकड़ों से फ्री नहीं लिख पाया।
दीदी -: जब चिंटू ने मिंटू को देखा तो वह तेजी से जाकर मिंटू के गले लग गई और रोने लगा। पर मिंटू ने उसे नहीं पहचाना यह देखकर वह सच्चे दिल से रोने लगा उसके आंसू जब मिंटू की दिल पर गिरे तो उसका कठोर दिल नर्म हो गया और मिंटू भी जोर जोर से रोने लगा।
दीदी -: उसके रोने से कांच का वह टुकड़ा उसके आंसुओं के साथ जमीन पर गिर गया और जब उनके उन बर्फ के टुकड़ों को देखा तो वे फ्री वर्ड लिख चुके थे। यह देखकर मिंटू ने खुशी से चिंटू को गले लगा लिया।
मिंटू -: तुम दुनिया की सबसे अच्छे दोस्त हो।
दीदी -: दोनों खुश हो गए ।
चिंटू -: मिंटू चलो घर वापस चलते हैं ।
दीदी -: उसके बाद मिंटू और चिंटू खुशी खुशी अपने घर वापस चले गए।
नन्हें दोस्तों आपको ये “जादुई काँच के टुकड़े की कहानी | Jadui Kahani for Kids in Hindi” छोटी सी कहानी कैसी लगी हमें कमेंट करके जरुर बताये ताकि हम आपके लिए ऐसी ही मजेदार कहानियां और लेकर आ सके |