हेलो दोस्तो मेरा नाम पायल है आज मैं आपको इस Post में Pariyon Ki Kahani in Hindi (जादुई जलपरी और राजू की शादी), कहानी बताने जा रही हु, दोस्तो यह कहानी बहुत ही मजेदार है, आप लोगों को यह कहानी पढ़ने में बहुत मजा आने वाला है ।
दोस्तो अक्सर सभी को Pariyon Ki Kahani सुनना या पढ़ना सभी को अच्छा लगता है, सभी को परियो की कहानी या पंचतंत्र की कहानी सुनने/पढ़ने की बहुत इच्छा होती है, तो दोस्तो आज मैं इस पोस्ट में आपकी इच्छा को पूरा कर देता हूं
तो चलिए दोस्तो Pariyon Ki Kahani in Hindi(जादुई जलपरी और राजू की शादी), की कहानी शुरू करते है, दोस्तो यह एक काल्पनिक कहानी हैं इसका Reality से कोई लेना देना नहीं है ।
Pariyon Ki Kahani in Hindi | जादुई जलपरी और राजू की शादी
यह बहुत पहले की बात है राजस्थान के पास एक छोटा सा गाँव था उस गाँव का नाम भानुप्रतापपुर था, भानुप्रतापपुर एक बहुत ही सुंदर गांव था क्योंकि उस गांव के नजदीक एक नदी था उस नदी का नाम निर्मला नदी था ।
उसी गांव में एक व्यापारी रहता था जिसका नाम धनीराम था वह दिल का बहुत अच्छा और धनी था और साथ ही दयालु इंसान भी था, वह अपना धंधा पूरी ईमानदारी के साथ करता था, सभी लोग उसकी गांव में बहुत इज्जत करते थे ।
धनीराम की एक बेटी थी वह उसकी बेटी का नाम शोभा थी वह अपनी बेटी से बहुत प्यार करता था, शोभा खूबसूरत के साथ-साथ दिल की बहुत अच्छी थी और शोभा के पास एक दिव्य शक्ति थी वह पानी को छूते ही जल परी के रूप में बदल जाती थी लेकिन यह बात किसी को मालूम नहीं था शोभा हमेशा निर्माला नदी के पास जाया करती थी और पानी के अंदर जलपरी के रूप में बदल कर खूब खेलती थी जब उसका मन भर जाए करती तो वह इंसानी रूप में आकर घर आ जाती थी ।
उसी गांव में राजू नाम का लड़का रहता था वह धनीराम व्यापारी के यहां काम करता था, राजू अपना काम पूरी ईमानदारी के साथ करता था, अक्सर वह अपना सही समय पर करता था । धनीराम, राजू से बहुत प्रसन्न रहता था कई बार तो धनीराम अपने काम की जिम्मेदारी राजू को सौप देता था, राजू भी उस काम को पूरी जिम्मेदारी और ईमानदारी के साथ करता था, धनीराम को राजू के ऊपर बहुत विश्वास था ।
राजू, शोभा से मन ही मन बहुत प्यार करता था राजू काम के बहाने अक्सर शोभा को चुप चुप के देखा करता था, शोभा को देखते ही राजू बहुत खुश ही जाता था, वह शोभा से सच्चे दिल से प्यार करता था ।
लेकिन अपने दिल की बात शोभा को कहने से डरता था, वह सोचता जरूर था कि मैं अपने दिल की बात शोभा को बताऊंगा लेकिन जब भी वह बताने जाता था तो वह घबरा जाता था, ऐसे तैसे करके 6 महीने बीत गए लेकिन राजू अपने दिल की बात शोभा को कह नहीं पाया ।
फिर एक दिन हिम्मत करके राजू अपने मालिक(धनीराम) से कहता है मालिक मैं आपकी बेटी से प्यार करता हूं और उससे शादी करना चाहता हूं, मालिक मै आपकी बेटी को बहुत खुश रखूंगा उसे कोई भी चीज की कमी नही होने दूँगा ।
यह बाते सुनकर धनीराम बहुत खुश हो जाता है और मन ही मन सोचने लगता है राजू बहुत ही ईमानदार लड़का हैऔर मुझे इस पर पूरा विश्वास भी है शायद इससे अच्छा लड़का मेरी बेटी के लिए कोई नही हो सकता, अगर मेरी बेटी इससे शादी करती है तो वह बहुत खुश रहेगी ।
व्यापारी अपनी बेटी से पूछता है क्या तुम्हें राजू पसंद है? क्या तुम उससे शादी करना चाहती हो? शोभा मन ही मन सोचती है अगर मैं राजू के साथ शादी कर लूं तो जलपरी की बात सबको मालूम हो जाएगा ।
इस बात की डर से शोभा शादी से मना कर देती है, शोभा के पिताजी उसे समझाते हुए कहते है राजू अच्छा लड़का है बेटी यह तुम्हे बहुत खुश रखेगा लेकिन फिर भी जलपरी की बात किसी को पता ना चल जाए इस डर से शोभा मना कर देती है ।
फिर धनीराम, राजू को बताता है कि राजू मेरी बेटी ने शादी के लिए मना कर दी है, राजू यह बात सुनकर बहुत उदास हो जाता है और कहता है कोई बात नहीं आज नहीं तो कल शोभा मेरे प्यार को समझेगी ।
हमेशा की तरह शोभा निर्माला नदी के पास जाती है तभी राजू, शोभा के चुपके से पीछे पीछे जाता है, तभी शोभा नदी के किनारे जाती हैं और जलपरी के रूप में आ जाती है तभी राजु, शोभा का यह रूप देख कर चौक जाता है और शोभा के पास जाता है राजू को पास देखते हैं शोभा चौक जाती है और कहती है अरे राजू तुम यहां क्या कर रहे हो?
फिर राजू बोलता है मैं सब कुछ जान चुका हूं तुम्हारी इस रूप के बारे में, शोभा कहती है मैं यह बात तुम्हें बताना चाहती थी अब तुम्हें तो सब कुछ पता चल चुका है लेकिन यह बात किसी को भी मत बताना खासकर मेरे पिता को नहीं तो बुरा मान जाएंगे ।
तभी राजू कहता है अच्छा ठीक है यह बात किसी को नहीं बताऊंगा यह बात तो राज ही रहेगा, फिर शोभा कहती है क्या तुम मुझसे शादी करना चाहते हो राजू, फिर राजू कहता है हां मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं, फिर दोनों एक दूसरे से बाते करते है ।
घर जाने के बाद शोभा अपने पिता के पास जाती है और कहती है पिता जी मैं राजू से शादी करना चाहती हूं, यह बात सुनकर धनीराम बहुत खुश हो जाता है, फिर धनीराम अपनी बेटी की शादी राजू के साथ बड़े ही धूमधाम से कराता है, शादी के बाद जलपरी और राजू अपनी जिंदगी खुशी-खुशी बिताते हैं ।