हेल्लो दोस्तों मेरा नाम अंकित है और आज मैं आपको अपनी Real Horror Stories in Hindi | Chudail ki Kahani बताने जा रहा हूँ | कहानी बताने से पहले मैं आपको अपने बारे में बताना चाहता हूँ मेरा नाम अंकित शर्मा है और मैं भोपाल का रहने वाला हूँ मेरी उम्र 31 साल है और ये कहानी तब की है जब मैं 23 साल का था |
इस घटना को घटे 8 साल हो गया पर मैं इस घटना को आज तक नहीं भूल पाया हूँ मैं जब भी इसके बारे में सोंचता हूँ मुझे उस दिन की एक-एक सारी बातें याद आ जाती है और मैं बुरी तरह डर जाता हूँ | चलिये दोस्तों मैं आपको अपनी सच्ची दास्ताँ सुनाता हूँ की कैसे मेरा सामना एक चुड़ैल से हुआ |
Real Horror Stories in Hindi | Chudail ki Kahani
ये बात तब की है जब मैं कॉलेज में था और मैंने अपनी स्कूल की पढाई पूरी करके एक इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया था | कॉलेज में बहुत से नए दोस्त बने लेकिन उसमे से मेरा सबसे अच्छा दोस्त अजय था |
वो एक गाँव का रहने वाला लड़का था और बहुत गरीब परिवार से बेलोंग करता था उसके परिवार में 4 ही लोग थे उसके माता-पिता और एक छोटा भाई |
छोटा भाई 11 क्लास की पढाई कर रहा था | अजय के माता-पिता बहुत मेहनती और भले इन्सान थे उन्होंने एक-एक रूपये जोड़कर अजय को इंजीनियरिंग की पढाई करवा रहें थे |
अजय और मैं बहुत ही अच्छे दोस्त थे हम दोनों एक दुसरे से अपनी दिल की बातें बिंदास शेयर किया करते थे | अजय अक्सर मुझे अपने गाँव आने को कहता था पर मैं समय नहीं निकाल पा रहा था | मुझे उसे मना करके बुरा तो लगता था था पर मैं और कर भी क्या सकता था मैं भी कोई काम में busy हो जाता था |
एक दिन ऐसे ही अजय ने मुझे अपने घर आने को कहा और मैं उसे इस बार मना नहीं करना चाहता था क्यूंकि मैं इस बार फ्री था मेरे पास कोई काम नहीं पड़ा था तो मैं ख़ुशी-ख़ुशी उसके गाँव जाने के लिए मान गया |
अजय का गाँव हमारे शहर से बहुत दूर था मैं उससे मिलकर एक दिन में वापस नहीं आ सकता था | मैंने अपनी बाइक ली और अजय के गाँव के लिए निकाल गया मुझे उसके गाँव पहुचने में सुबह से शाम हो गयी अजय मुझे लेने के लिए अपने गाँव के चौक तक आया था क्यूंकि मुझे उसके घर का पता मालूम नहीं था |
जैसे ही अजय ने मुझे देखा तो वो बहुत खुश हो गया और मुझे गले से लगा लिया और कहा “अबे आखिर तू मेरे गाँव आ ही गया” वहा मुझे देखकर बहुत खुश हो गया उसने मुझे अपने घर लेके गया जंहा मैं उनके माता -पिता से और उसके छोटे भाई से मिला | उन सभी ने मुझे बहुत प्यार दिया |
रात का खाना हम सभी ने एक जगह बैठकर खाया मुझे वो पल आज भी याद है वो कितना यादगार पल था | अजय का गाँव पिछड़ा हुआ था वहा लाइट तो था पर कब बंद हो जाये उसका कोई पता नहीं था |
जिस दिन लाइट बंद हो जाये तो पूरी दिन और रात तक लाइट बंद रहता था | उस दिन भी ऐसा ही हुआ हमने जैसे ही रात का खाना खाया और लाइट बंद हो गयी |
अजय ने मुझसे कहा अंकित यहाँ का तो बस यही रोना है जिस दिन लाइट बंद होती है उस दिन पूरी रात लाइट नहीं आती बस गिने चुने ही ऐसे दिन होंगे जब लाइट तुरंत आ जाती हो | मेरा खाना खाने के बाद घुमने का आदत था और गाँव में कुछ ही लोग ऐसे थे जो खाना खाने के बाद घुमने जाते थे |
मैंने अजय से कहा की लाइट आने तक चलो घूमकर आते है अजय को ये बात थोड़ी अटपटी लगी क्यूंकि रात का समय था ऊपर से लाइट भी बंद था तो बाहर बहुत अँधेरा भी था | फिर भी मेरे कहने पर अजय बाहर जाने के लिए तैयार हो गया हम दोनों जब तक घूम कर आये तबतक लाइट नहीं आया था |
फिर अजय ने कहा की लाइट नहीं होने के वजह से अंदर रूम में सोना पॉसिबल नहीं था क्यूंकि बिना पंखे के गर्मी के दिनों में अंदर सोना पॉसिबल नहीं था तो उसने अपने चाचा के यहाँ छत पर अपनी और मेरे लिए बेड लगा दी |
मैं इससे पहले कभी भी खुले आसमान के निचे नहीं सोया था मुझे डर तो लग रहा था पर मैंने थोड़ी हिम्मत दिखयी और बाहर सोने के लिए तैयार हो गया | हम दोनों ने बहुत देर तक बात की फिर हम सो गये |
फिर अचानक रात के 2 या 3 बजे के करीब मुझे घुटन सी महसूस होने लगी और मेरी नींद खुल गयी मुझे ऐसा लग रहा था की कोई मेरे सिने को दबा रहा हो मैं हिलने की कोशिश कर रहा था पर हिल नहीं पा रहा था मैं अजय को चिल्लाना और अपनी मदद के लिए बुलाना चाहता था पर मेरी आवाज ही नहीं निकाल रही थी मैं कुछ बोल नहीं पा रहा था |
मेरी आंखे पूरी तरह खुल चुकी थी पर मुझे कोई दिखायी नहीं दे रहा था मैं उस अदृश्य शक्ति को महसूस कर रहा था लेकिन देख नहीं पा रहा था मुझे समझ नहीं आ रहा था की आखिर मेरे साथ हो क्या रहा है और मैं क्या कर सकता हूँ |
मैं बहुत बुरी तरह डर गया था मैं पसीने में पूरी तरह भीग चूका था अजय मेरे बगल में सोया हुआ था पर मैं उससे कोई मदद नहीं ले पा रहा था | और मैं अपने आप को किसी अदृश्य शक्ति से जकड़ा हुआ महसूस कर रहा था |
मैं मन ही मन अपने इष्ट देव को याद कर रहा था और उससे अपनी मदद की याचनाए कर रहा था मैंने अपनी पूरी कोशिश की उठने की बार मैं हर बार विफल हो जा रहा था मुझे मन ही मन लगने लगा था की आज मेरी आखरी रात होने वाली है और मैं ये सोंचकर डर से रोने लगा था |
बार बार अजय को अपनी सहायता के लिए आवाज लगाने की कोशिश की वजह से अचानक मेरे मुझे से एक बहुत जोर से चीख निकली और मैं कहा “अजय…….” अजय ने मेरी आवाज सुनी और हडबडा कर उठ गया और मेरे पास आकर मुझसे पूछने लगा क्या हुआ अंकित तुम ठीक तो हो न |
मैं इतना डर गया था की मेरे मुझे से आवाज ही नहीं निकाल रही थी अजय ने जोर से झकझोरा और मुझे अचानक ऐसा लगा जैसे मैं किसी जकड़न से छुट गया हूँ और मेरे उपर से बोझ हट गया था फिर मैंने अजय को वो सारी बाते बताई अजय भी मेरी बातो को सुनकर डर गया था |
हम दोनों बहुत डरे हुए थे की अचानक हमने किसी की चिखने की आवाज सुनी हम दोनों के रोंगटे खड़े हो चुके थे हमने आव देखा न ताव तुरंत निचे रूम में आ गये |
उस रात हम दोनों दोस्त सो नहीं पाये मैं जब भी सोने की कोशिश करता था तब तब वो मंजर मेरे नजरो के सामने आ जाता था | हमने सुबह होते ही ये बात अजय के पिता जी को बतायी तो उसने कहा की गाँव में भूत, परेता, चुड़ैल की किस्से बहुत प्रचलित है तुमने जो महसूस किया शायद वो भी कोई ऐसी ही घटना हो |
तब अजय के पिता जी ने बताया की उन्होंने सुना है गाँव से थोड़े दूर में एक घर का खंडहर है कोई उसके पास से रात को जो कोई गुजरता है तो उसके साथ ऐसी ही कुछ डरावनी घटना होती है |
अजय के पिता ने कहा “लेकिन तुम तो उस तरफ नहीं नहीं गये थे न ?”
फिर अजय और मैंने कहा की शायद हम रात का खाना खाने के बाद जब लाइट बंद था तो चलते चलते गाँव से बाहर उस खंडहर के पास चले गये थे लेकिन हमने उसपे गौर नहीं किया |
अजय का पिता जी समझ गया था की हमपर चुड़ैल का साया था उसने हमे तुरंत एक झाड़ फूंक करने वाले तांत्रिक के पास ले गया और हम दोनों की झाड़ फूंक करायी | तांत्रिक ने कहा की हमारी किस्मत अच्छी थी की हम उस चुड़ैल की चंगुल से जिन्दा बच गये | हमने भगवान का धन्यवाद किया और तांत्रिक का भी और घर वापस आ गये |
मैं उस दिन से इतना डर गया की मेरी हिम्मत ही नहीं हुई दुबारा अजय के गाँव जाने की अब जब मुझे अजय से मिलना होता है तो मैं उसे अपने यहाँ बुला लेता हूँ और हम आज भी अच्छे दोस्त है |