जानिए श्रवण कुमार की सच्ची कहानी | Real Life Moral Story in Hindi और कहानी के अंत में जानिये क्यों होते हैं माता-पिता हमारे सबसे अच्छे दोस्त ? और इससे जुड़ी कुछ नैतिक शिक्षा के बारे में भी जानेंगे |
तो चलिए शुरू करते है आज की Real Life Moral Story in Hindi श्रवण कुमार की कहानी
श्रवण कुमार की सच्ची कहानी
Heart Touching Real Life Moral Story in Hindi
जिसने दुनिया दिखाई, जिसने चलना सिखाया, जिसने झेली इतनी मुसीबत और पूरी की मेरी हर जिद, माता-पिता वो शक्सियत हैं, जिसके पसीने का एक बूंद भी औलाद नहीं चूका सकता |
श्रवण कुमार अपने माता पिता का एक अकेला बेटा था, श्रवण कुमार बहुत ही सच्चा और नेकदिल इंसान था, उसके माता-पिता बुढ़े लंगड़े और अंधे थे | उनके माता-पिता भगवान की भक्ति में लीन रहते थे ।
श्रवण कुमार अपने माँ बाप के साथ एक झोपड़ी में रहता था | सभी बहुत खुश रहते थे श्रवण कुमार सांसारिक मोह माया से दूर अपने माँ बाप की सेवा में लगा रहता था वह दिन रात अपने माँ बाप की सेवा करता | वह अपने माता-पिता का पूरे मन से सेवा करता था उसके लिए माता-पिता ही सब कुछ था ।
एक दिन की बात है जब श्रवण ने अपने माता-पिता को भोजन कराया, भोजन कराने के पश्चात् जब आराम करने लगे तो श्रवण उनके पैर दबाने लगा |
श्रवण ने कहा – आज कुछ लोग तीर्थ यात्रा पर जा रहे थे वह भजन गाने में मग्न थे, वह भजन गाने में इतने लीन थे कि उन्हें अपनी भी सुध बुध नही थी |
श्रवण के पिता – काश हमारी भी आंखें होती हम भी तीर्थ यात्रा करने जाते |
श्रवण की माता – क्या कहते हो आप अपने भाग्य को सराहो हमारा बेटा हमारी आंखें है |
फिर श्रवण कुमार ने उसी समय मन में ठान लिया कि वह उन्हें तीर्थ यात्रा अवश्य कराएंगे । दूसरे ही दिन श्रवण ने एक बाँस के पेड़ की मजबूत शाखा ली और उसके दोनों सिरों पर मजबूत रस्सी की सहायता से दो बड़े आकार की टोकरियां बांध ली और एक कांवर बना लिया |
फिर शाम होते ही उसने माता पिता को कहा मैं आप लोगो को तीर्थ यात्रा पर ले जाऊँगा | लेकिन उनके माता पिता ने बहुत मना किया |
श्रवण – मैं आप लोगो को कोई तकलीफ होने नही दूंगा, राह में आपको कोई तकलीफ नही होगी |
अगले दिन वह सुबह माता-पिता को कांवर पर बैठाया और ईश्वर को याद करके अपनी यात्रा शुरू की, सारा गांव उसे मन ही मन आशीर्वाद दे रहा था राह में जो भी देखता उसकी आंखें भर आती |
वह खेतो, झाड़ियों और जंगलों को पार करता गया, उसने रास्ते मे बहुत सी नदिया और खाइयां पार की, वह पहाड़ की चोटियों को भी पार कर गया, पवित्र नदी गंगा और यमुना को पार किया, रास्ते मे जो भी देवी देवताओं के मंदिर मिले उसके दर्शन करते गए |
उसने अपने माता-पिता को पवित्र नदी में स्नान कराया | श्रवण कुमार पूरे मन से उनकी सेवा करता क्योकि उनके लिए माता-पिता ही भगवान थे। उसके माता-पिता उसके इस सेवा भाव से बहुत खुश थे | उसके माता-पिता ही नही रास्ते मे जो कोई भी देखता वो खुश हो जाता और सोचते काश सभी माता-पिता को श्रवण जैसा पुत्र मिलता |
ऐसे ही कई महीने बीत गए, दिन भर माता-पिता को लेकर यात्रा करता और रात को थकान मिटाता | एक दिन वह एक जंगल में आराम कर रहे थे तभी अचानक उसके पिताजी को प्यास लगी और पानी माँगा |
श्रवण – पिताश्री अभी पात्र में पानी नहीं है आप थोड़ी प्रतीक्षा करें मैं अभी पानी लेकर आता हूं |
श्रवण के पिता – नहीं पुत्र अभी रात बहुत है अभी जाना उचित नहीं होगा तुम सुबह चले जाना |
पिता को प्यास से व्याकुल देख श्रवण उनके मना करने के पश्चात् जिद करके पानी लाने के लिए चला जाता है | फिर कुछ ही देर में उसे एक नदी दिखाई देता है | श्रवण पात्र में जल भरने के लिए नदी के किनारे बैठ जाता है और जल भरने लगता है |
तभी अचानक एक तीर आता है और सीधे श्रवण के सीने में घुस जाता है और श्रवण दर्द में कराहते हुए चिल्ला पड़ता है और उसके हाथों से जल का पात्र निचे गिर जाता है | (Real Life Moral Story in Hindi)
राजा दशरथ शिकार कर रहे थे और खाली घड़े में पानी भरने की आवाज सुनकर उन्होंने समझा की कोई जानवर पानी पीने आया है और बिना देखे ही तीर चला दिया | लेकिन श्रवण की चीख सुन वह दौड़ता हुआ नदी के किनारे पहुंचा और देखा एक सुंदर नौजवान तड़प रहा था ।
दशरथ ने उसका सिर अपनी गोद मे रखा और श्रवण के सीने से तीर निकाला और रोते हुए बोले
दशरथ – मुझसे बहुत बड़ा पाप हो गया है मैने तो जानवर समझकर तीर चलाया था मुझे माफ़ कर दो बेटे |
श्रवण अपने माता-पिता को पुकार रहा था, राजा की आंखों से आंसू बहने लगे |
दशरथ – बोले मुझे माफ कर दो बेटे, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई ।
श्रवण – मेरा एक काम कर दो जंगल मे मेरे माता-पिता प्यासे बैठे है जाकर उन्हें पानी पिला देना |
राजा ने धीरे-धीरे श्रवण से सारी कहानी सुनी और उनके दुख की कोई सीमा न रही, फिर अचानक कुछ समय बाद श्रवण ने अपना प्राण त्याग दिया ।
राजा दशरथ ने श्रवण को कंधे पर रखा और हाथ मे पानी लिए उसके माता पिता के पास चले गए | आहट सुनते ही श्रवण की माता-पिता बोले (Real Life Moral Story in Hindi)
माता -पिता – बहुत देर कर दी बेटा वापस आने में |
राजा दशरथ चुपचाप खड़े होकर उन्होंने जल का पात्र आगे बढ़ाया |
श्रवण – तुम बोलते क्यों नहीं हो बेटा बोलो क्या हो गया तभी हम जल पियेंगे अन्यथा नहीं |
राजा दशरथ रोते हुए बोले
राजा दशरथ – माताजी पिताजी अनजाने में मेरे हाथों से आपके बेटे की मृत्यु हो गई | श्रवण प्राण त्यागते हुए आप दोनों की सेवा का भार मुझे सौप गये है इसलिए आप चिंता ना करे अब मैं आपकी सेवा करूँगा |
अपने बेटे की मृत्यु की खबर सुनकर श्रवण के माता-पिता रोने लगे | दोनों को उसके पुत्र की मृत्यु से बहुत बड़ा सदमा लगा और श्रवण की माता पुत्र की मृत्यु को बर्दाश्त न क्र सकी और उन्होंने भी अपने प्राण त्याग दिए |
अपने पुत्र और अपनी पत्नी को मरता जान श्रवण के पिता ने राजा दशरथ से कहा
श्रवण के पिता – हे कुलघाती तुम्हारे वजह से मैंने अपना पुत्र खोया और पुत्र के जाने के दुःख में मेरी पत्नी भी मुझे छोड़ गयी और मैं भी अपने पुत्र और पत्नी के बिना जीवित नहीं रह पाउँगा |
श्रवण के पिता – जिस तरह मैं और मेरी पत्नी अपनी अपने पुत्र से बिछड़कर मृत्यु को गले लगा रहे है वैसे एक दिन तू भी अपने पुत्र के तडपेगा और और तू भी इसी तरह अपने पुत्र को आखिरी समय में देख नहीं पायेगा और अपने प्राण त्याग दोगे ये मेरा श्राप है |
इतना कहने के बाद श्रवण के पिता ने भी अपने प्राण त्याग दिए |
राजा दशरथ ने उनका दाह संस्कार किया महल में आकर भी उनके मन में शांति ना मिली और आंखों में नींद न थी, काफी साल बाद उनका बेटा “भगवान श्री राम” बनवास गये | राम के याद में वह तड़पते रहे और तड़पते हुए उन्होंने भी अपने प्राण त्याग दिए | (Real Life Moral Story in Hindi)
तो दोस्तो इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि माता-पिता ही सब कुछ होता है, माता-पिता देवतुल्य होते है उनकी सच्ची श्रद्धा से सेवा करनी चाहिए | तो दोस्तो आपको यह कहानी कैसी लगी हमे कमेंट करके जरूर बताएं ।
नैतिक शिक्षा
उस इंसान से दोस्ती मत करो जो अपनी माँ से ऊँची आवाज में बात करता हैं क्योंकि जो अपनी माँ की इज्जत नहीं करता वो किसी और की इज्जत नहीं कर सकता |
माता-पिता वो शक्सियत हैं, जिसके पसीने का एक बूंद भी औलाद नहीं चूका सकता |
माता-पिता और गुरु का जो सम्मान करता हैं, वो कभी भी दुखी नहीं होता हैं |
श्रवण कुमार के माता का नाम ज्ञानवती और पिता का नाम संतोबली था जिनको शांतनु और संत्वन भी कहते है तथा श्रवण कुमार की पत्नी का नाम विद्या और श्रवण कुमार के ससुर जी का नाम ज्ञान देव था |
माता-पिता हमारे सबसे अच्छे दोस्त हैं
जिसने दुनिया दिखाई, जिसने चलना सिखाया, जिसने झेली इतनी मुसीबत और पूरी की मेरी हर जिद, कभी न हुआ कमी का अहसास, आखिरी यही होते हैं मां बाप का प्यार, गिरकर उठना उन्होंने सिखाया।
हम सब अपनी लाइफ में कितने ही आगे पहुंच जाएं। उसमें अपने मां-बाप का जो योगदान है वो सबसे ज्यादा होता है। हमारे सबसे अच्छे दोस्त, सलाहकार और गुरु हमारे माता-पिता ही होते हैं उन्हें हमारे अच्छे-बुरे का पता होता है और न जाने कैसे उन्हें हमारी हर परिस्तिथि के बारे में पता चल जाता है।
बस थोड़ी सी बात करने पर हमारे बिना जाहिर किए ही वो सब कुछ जान लेते हैं। उनकी लाइफ में हम बच्चे जब से आए है तबसे उन्होंने बहुत से सपने देखे हैं | (Real Life Moral Story in Hindi)
कभी हमें खुश करने के लिए, तो कभी हमारे Future Set करने के लिए, हमेशा बच्चों के लिए अपना Best देते हैं, अच्छा स्कूल, अच्छी पढ़ाई, अच्छी Lifestyle सब कुछ अच्छा जो सोचता है वो मां-बाप ही तो होते हैं।
इनके अलावा भी लोग हैं लेकिन वो उनकी बराबरी कभी नहीं कर सकते। इन सबके बदले में हमारी Responsibility यही है ना कि हम अपना भी Best दे | अच्छे स्कूल दिलवाएंगे तो पढ़ाई भी अच्छी करें |
Corona की वजह से Online Classes लग रही हैं तो बिना कोई Cross Question किए मोबाइल लाकर दे दिए। लेकिन खुद अभी भी Keypad Phone Use कर रहे हैं।
हमने सिर्फ एक बार कहा था कि AIIMS में Selection चाहिये या IIT में Selection चाहिए उस दिन से अपने बच्चे के Dream को अपना Dream बना लिए |
हमेंशा Motivate करेंगे। पढ़ाई करने में मन नहीं लगता है तो Technics बताएंगे कि पढ़ाई का तरीका बदल सको । Time Schedule पर ध्यान देना सिखायेंगे उनकी कही हर बातें हमेशा सच हो जाती हैं। जितना ज्यादा टाइम मिलता है उतना कोशिश करो अपने Mummy-Papa के साथ ही रहने की। (Real Life Moral Story in Hindi)
जब उनसे बात होती है एक अलग ही Energy आ जाती है और अगर Mood Off भी हो तो ठीक हो जाता है। अभी की तो Lifestyle ही ऐसी हो गई है। सभी के हाथ में Mobile बच्चे PUBG और FreeFire में इतने Busy हो गए हैं कि अपने Parents से ही बात करने का Time ही नही हैं |
TV, Mobile, Social Media इन सबसे दूर होकर Daily थोड़ा Time निकालो और अपने Mummy Papa के साथ बिताओ।
School, College तो भी बंद है ना,आप Free हो न, शायद फिर ये Time वापस ना आए, Parents जब काम से Free हों तो उनके साथ बैठो, उनसे अपने Life के Moment को Share करो, आप देखना Parents भी अपने Experience के Basis पर आपको Guide करेंगे।
Future में आप लोगों से कैसे Deal करना है और अपने आप को Mentally और Physically फिट रखने के लिए Parents का साथ और Support बहुत Important होता है। (Real Life Moral Story in Hindi)
Mummy-Papa ने बोला था कि IIT में जाना है, AIIMS में जाना है और आप रात दिन पढ़ भी रहे थे Parents भी Support कर रहे थे लेकिन किसी ने आकर ये कह दिया कि यह Easy नही हैं, हर किसी का Exam Crack नहीं होता और ना जाने क्या हुआ उसके बाद से ही आपका मन उन बातों के बारे में सोचने लगा।
इस Situation में आपको सिर्फ ये बात अपने Mummy-Papa के साथ Share कर लेनी है कि मुझे पढ़ाई से Related ये Thought आ रही हैं। मुझे ऐसा नहीं सोचना चाहिए था पर मुझे ऐसे Thought आ रहे हैं। आप जब उनसे Share करोगे तो आपको फर्क समझ आ जाएगा क्योंकि हमें वो सबसे अच्छे से समझते हैं।
उन्हें पता होता है कि हमें खुश कैसे रखना है ? हमें Positive कैसे रखना हैं ? हमे Energetic कैसे रखना है? अब ऐसा नहीं है कि आप सिर्फ School या College की पढ़ाई करें रहे हैं तभी बात करो या तभी अपनी बातें Share करो। आप जिस भी Field में हो, आप जिस भी Age के हो, आप जो भी Work करते हो आपको Communication Better करना होगा।
अपने Parents के साथ जो Communication Gap आ गया आपकी Life में, उस Gap को कम करना होगा। अपने Parents के साथ जितना ज्यादा हो सके उनके साथ बैठो और बातें Share करो | अपनी हर बात उन्हें Share करो, वो आपके सबसे अच्छे Best Friends होते हैं। Social Media से दूर होकर Real Life में जो खुशी होती है ना उसे Enjoy करो। (Real Life Moral Story in Hindi)
मैं खुश किस्मत हूँ जो आपने मुझे जन्म दिया, आपने मुझे जीना सिखाया और काबिल बनाया, सपने देखना भी सिखाया है आपने। आपकी पहचान से जी रहा हूँ, मैं खुश किस्मत हूँ, जो जन्म दिया अपने।